बेख़ुदी में न जाने क्या कह गया कोई,
किसी की आँखों में थी ज़िन्दगी
झुकी पलकों में लिए राज़ गहरा
घावों को फिर परेशाँ कर गया कोई,
कच्ची दिल की हैं मुंडेरें हमदम
सीड़ियों में आसमां बिछा गया कोई,
बेरंग दीवारें जैसे नींद से हैं जागे
फूलों के चिलमन सजा गया कोई,
उम्र भर की हसीं लड़खड़ाहट है
या यूँ ही अपना बना गया कोई,
बेख़ुदी में न जाने क्या कह गया कोई ।
-- शांतनु सान्याल
बहुत अच्छी लगी रचना
जवाब देंहटाएंउम्र भर की हसीं लडखडाहट है
या यूँ ही अपना बना गया कोई
वाह बहुत खूब।
किसी की आँखों में थी ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंसरे बज़्म वसीयत बयाँ कर गया कोई
कच्ची दिल की मुंडेरें हैं हमदम
सीड़ियों में आसमां बिछा गया कोई
खूबसूरत नज़्म ....सीढ़ियों में असमान बिछाना ...बहुत अच्छा लगा यह ख़याल
बहुत सारा धन्यवाद, आप सभी को रचनाएँ पसंद आयीं ये मेरी खुशनसीबी है, नमन सह /
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