इक आहट, जो दूर किसी ख़ामोश
गुफाओं से निकल कर, दिल
पे दस्तक सी दिए जाती
है, कुछ मासूम चेहरे,
हसरत भरी
निगाहों से -
से तकतें हैं, छलकती बूंदों में
कहीं, शाखों से फूल के
शक्ल में खुशियाँ
बरसती हैं, जी
करता है-
बिखेर
दें,
वो तमाम ख़्वाब जो कभी
हम ने बुनी थीं ख़ूबसूरत
ज़िन्दगी के लिए, इक
हलकी सी मुस्कराहट
में उम्र भर का
हासिल
तलाश करें और क्या बहोत
चाहिए इस ज़रा सी ज़िन्दगी
के लिए -
- - शांतनु सान्याल
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