मृत्यु पार की दुनिया का मानचित्र जो भी हो,
हर किसी को उस कुहासे में एक दिन
खो जाना होगा, किसे पता कौन सा
मार्ग है कितना सहज या
कठिन, तर्क वितर्क
से दूर देह का
का है ये
अवसान, जन्म लेते ही हर एक जीव करता है
मृत्यु पत्र में हस्ताक्षर, समय शेष होते ही
उसे मुरझाना होगा, हर किसी को
उस कुहासे में एक दिन खो जाना
होगा । वो तमाम प्रेम घृणा
प्रकृत कृत्रिम, रिश्तों के
मुखौटे, आजन्म
साथ निभाने
के शपथ
पत्र,
सब कुछ फ़र्श पर पड़े रह जाएंगे, इत्र की ख़ाली
शीशी की तरह धीरे धीरे स्मृति गंध भी विलीन
हो जाएगी, परित्यक्त शीशी भी एक दिन
टूट जाएगी, किसी को याद करना तब बेवजह
का बहाना होगा, हर किसी को
उस कुहासे में एक दिन खो
जाना होगा ।
- - शांतनु सान्याल
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 21 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, लेकिन कुछ क्षणों के लिए परेशां कर दिया आपने भाई शान्तनु जी!
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