13 मार्च, 2024

कुछ याद आया - -

मुद्दतों बाद, मुस्कुराने का हुनर याद आया,

फिर ज़िन्दगी का, अधूरा सफ़र याद आया,

यूँ तो, अपना ठिकाना भी याद नहीं हम को,
उसे देखते ही वो खोया हुआ घर याद आया,

आईना पूछता रहा, ज़िन्दगी भर का हिसाब,
ख़्वाब से उभरे तो इश्क़ का असर याद आया,

नज़दीकी समझा देती है असलियत खुल कर,
रस्ते में फलों से लदा कड़ुआ सज़र याद आया ।
- - शांतनु सान्याल






8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 14 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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