जाने किस ओर मुड़ गए सभी वो बंजारे बादल
देख सूखी रिश्तों की बेल, हम बहोत परेशां हुए,
जोगी जैसा चेहरा, मरहमी वो दुवागो वाले हाथ
आमीन से पहले, न जाने क्यूँकर लहुलुहान हुए,
बूढ़ा बरगद, सुरमई सांझ, परिंदों का कोलाहल
पलक झपकते, जाने क्यूँ अचानक सुनसान हुए,
खो से गए कहीं दूर, मुस्कराहटों के वो झुरमुट
आईने का शहर, और भीड़ में हम अनजान हुए,
स्याह, ख़ामोश, बेजान, बंद खिड़की ओ दरवाज़े
संग-ए-दिल, मुसलसल दस्तक, हम पशेमां हुए ,
उम्र भर दोहराया,आयत, श्लोक, पाक किताबें -
मासूम की चीख न समझे, यक़ीनन बेईमान हुए ,
जाने किस देश में बरसेंगे मोहब्बत के बादल !
ये ज़मीं, गुल-ओ-दरख़्त, लेकिन वीरान हुए ,
----शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
waiting-out-the-squall-sam-sidders
देख सूखी रिश्तों की बेल, हम बहोत परेशां हुए,
जोगी जैसा चेहरा, मरहमी वो दुवागो वाले हाथ
आमीन से पहले, न जाने क्यूँकर लहुलुहान हुए,
बूढ़ा बरगद, सुरमई सांझ, परिंदों का कोलाहल
पलक झपकते, जाने क्यूँ अचानक सुनसान हुए,
खो से गए कहीं दूर, मुस्कराहटों के वो झुरमुट
आईने का शहर, और भीड़ में हम अनजान हुए,
स्याह, ख़ामोश, बेजान, बंद खिड़की ओ दरवाज़े
संग-ए-दिल, मुसलसल दस्तक, हम पशेमां हुए ,
उम्र भर दोहराया,आयत, श्लोक, पाक किताबें -
मासूम की चीख न समझे, यक़ीनन बेईमान हुए ,
जाने किस देश में बरसेंगे मोहब्बत के बादल !
ये ज़मीं, गुल-ओ-दरख़्त, लेकिन वीरान हुए ,
----शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
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लाजवाब ग़ज़ल |
जवाब देंहटाएंनई रचना मेरा जन्म !
thanks a lot respected friend - - regards
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