थक सी चली है दूर सितारों की महफ़िल,
आसमान भी कुछ, ऊंघता सा नज़र
आए, तेरे इश्क़ में हम न
जाने कहाँ से कहाँ
तक चले
आए,
टूट चुकी हैं सभी ज़माने की ज़ंजीरें, न -
रोक पायीं हमें ऊँची मीनारों की
दुनिया, देखना है अब हमें
ये क़िस्मत कहाँ ले
जाए, बिन
पंख
परवाज़ लिए हम उड़ रहे हैं राहे फ़लक
में, बहोत दूर छूट चुकी ज़मीं की
हक़ीक़त, सुलगते सरहदों
की तपिश, हम पहुँच
चुके हैं ऐसी
जगह,
जहाँ कुछ भी तफ़ावत नहीं इंसानों के -
दरमियां, जहाँ बसती है ख़ालिस
रूहों की दुनिया, मुहोब्बत
और असल ईमां की
दुनिया, तमाम
फ़लसफ़े
जहाँ
हो जाएं बेमानी, महज़ इंसानियत रहे
बाक़ी, अफ़सोस ! तमाम वाक़िफ़
चेहरों से हम बहोत दूर
निकल आए - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
art by daniel edmonds.jpg 2.jpg
आसमान भी कुछ, ऊंघता सा नज़र
आए, तेरे इश्क़ में हम न
जाने कहाँ से कहाँ
तक चले
आए,
टूट चुकी हैं सभी ज़माने की ज़ंजीरें, न -
रोक पायीं हमें ऊँची मीनारों की
दुनिया, देखना है अब हमें
ये क़िस्मत कहाँ ले
जाए, बिन
पंख
परवाज़ लिए हम उड़ रहे हैं राहे फ़लक
में, बहोत दूर छूट चुकी ज़मीं की
हक़ीक़त, सुलगते सरहदों
की तपिश, हम पहुँच
चुके हैं ऐसी
जगह,
जहाँ कुछ भी तफ़ावत नहीं इंसानों के -
दरमियां, जहाँ बसती है ख़ालिस
रूहों की दुनिया, मुहोब्बत
और असल ईमां की
दुनिया, तमाम
फ़लसफ़े
जहाँ
हो जाएं बेमानी, महज़ इंसानियत रहे
बाक़ी, अफ़सोस ! तमाम वाक़िफ़
चेहरों से हम बहोत दूर
निकल आए - -
* *
- शांतनु सान्याल
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