सहमे सहमे से हैं क्यूँ तेरे अहसास,
तू मेरे क़रीब है या, कोई पिन्हां
है तेरे आसपास, न खेल
यूँ बाज़ी ए आतिश
से इसमें इक
दिन
झुलसना है लाज़िम, न खो दे कहीं
तू होश ओ हवास, कोई पिन्हां
है तेरे आसपास, मैं वो
शै हूँ जो हर दौर
में उभर
आए
गर्द ओ ग़ुबार से भी, कि मेरा इश्क़
है हमआहंग तेरी साँसों से,
अब बहोत मुश्किल
ही नहीं बल्कि
नामुमकिन
सा है
तेरा यूँ मेरे नफ़स से बाहर जाना - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
flower-arrangement-in-glass-vase
पिन्हां - छुपा हुआ
बाज़ी ए आतिश - आग का खेल
हमआहंग - एकाकार
नफ़स - आत्मा
तू मेरे क़रीब है या, कोई पिन्हां
है तेरे आसपास, न खेल
यूँ बाज़ी ए आतिश
से इसमें इक
दिन
झुलसना है लाज़िम, न खो दे कहीं
तू होश ओ हवास, कोई पिन्हां
है तेरे आसपास, मैं वो
शै हूँ जो हर दौर
में उभर
आए
गर्द ओ ग़ुबार से भी, कि मेरा इश्क़
है हमआहंग तेरी साँसों से,
अब बहोत मुश्किल
ही नहीं बल्कि
नामुमकिन
सा है
तेरा यूँ मेरे नफ़स से बाहर जाना - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
flower-arrangement-in-glass-vase
पिन्हां - छुपा हुआ
बाज़ी ए आतिश - आग का खेल
हमआहंग - एकाकार
नफ़स - आत्मा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें