अधूरा सफ़र ज़िन्दगी का, लाख चाहो मंज़िल नहीं आसां,
हर मोड़ पे नयी चाहत, हर पल आँखों से ओझल कारवां,
न मैं वो जिसकी तुझे तलाश, न तूही वो जिसकी है आश,
कुछ भी मेरा नहीं, इक *शिफ़र है, बीच ज़मीं ओ आसमां,
जब चाहे पलट जाओ जब चाहे तोड़ दो, है *माहदा नाज़ुक
कांच के रिश्तों में है, रफ़्तार ए ज़िन्दगी हर साँस यूँ रवां,
न सोये न ही जागे से हैं जज़्बात, सिर्फ़ दरमियानी सोच,
- शांतनु सान्याल
अरबी / फारसी शब्द
*माहदा - अनुबंध
*शिफ़र - शून्य
अरबी / फारसी शब्द
*माहदा - अनुबंध
*शिफ़र - शून्य
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
सहस्त्र धन्यवाद - नमन सह
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