दिल से उठती है जो आह, उसका असर न पूछ
जाती है, वो हमराह ताउम्र, जहाँ तक
तू जाए, फिरदौस हो या आतिशे
दर्रा, हर मक़ाम पे वो दर
तेरा खटखटाए,
मुमकिन है
ताक़त से
जीत जाए कोई दुनिया, लाज़िम नहीं दिलों में
हुकूमत करना - - -
- शांतनु सान्याल
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