ज़िन्दगी में हर चीज़ शर्तहीन नहीं होते, बहुत कुछ पाने के लिए बहुत कुछ
ऑंख बंद करके निगलना है
ज़रुरी, सच्चाई के घूँट
वैसे भी महीन नहीं
होते, ज़िन्दगी
में हर चीज़
शर्तहीन
नहीं
होते । आइना पूछता है मुस्कुराहटों के
पीछे का रहस्य, निगाहों में है रुके
हुए तूफ़ान की ख़ामोशी, रात
ढले हर एक ख़्वाब रंगीन
नहीं होते, ज़िन्दगी में
हर चीज़ शर्तहीन
नहीं होते । वो
मुझ में था
शामिल
इस
तरह कि ख़ुद का वजूद भी याद नहीं,
जब मैंने चाहा उसमें समा जाना
गहराइयों तक, उत्तर मिला
हर कोई हर किसी के
अधीन नहीं होते,
ज़िन्दगी में
हर चीज़
शर्तहीन नहीं होते । कुछ चेहरों का
तिलिस्म खींचे लिए जाता है
दूर तक, मुग्धता हमें घेरे
रहती है आठों पहर,
हम भूल जाते हैं
कि हर एक
सरोवर
अंदर
से गहीन नहीं होते, ज़िन्दगी में हर
चीज़ शर्तहीन
नहीं होते ।
- - शांतनु सान्याल
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शनिवार 30 अगस्त 2025 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
वाह वाह
जवाब देंहटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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