10 जनवरी, 2024

तन्हा चिराग़ - -

राह ए सुख़न के लिए ज़रुरी है, दरीचा ए एहसास खुला रहे, सुख दुःख के बीच जीवन में कुछ साया ए रंग मिला जुला रहे, 

ज़रूरी नहीं उम्र भर के लिए लिखें कोई तहरीर ए हलफ़नामा, यादों में मुख़्तसर ही सही इक मिलने - जुलने का सिलसिला रहे, 

मंदिर - मस्जिद के बाहर बसती है ज़िन्दगी की  असल दुनिया, नफ़रतों के घने झुरमुट में इंसानियत का तन्हा चिराग़ जला रहे, 

- - शांतनु सान्याल

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