राह ए सुख़न के लिए ज़रुरी है, दरीचा ए एहसास खुला रहे, सुख दुःख के बीच जीवन में कुछ साया ए रंग मिला जुला रहे,
ज़रूरी नहीं उम्र भर के लिए लिखें कोई तहरीर ए हलफ़नामा, यादों में मुख़्तसर ही सही इक मिलने - जुलने का सिलसिला रहे,
मंदिर - मस्जिद के बाहर बसती है ज़िन्दगी की असल दुनिया, नफ़रतों के घने झुरमुट में इंसानियत का तन्हा चिराग़ जला रहे,
- - शांतनु सान्याल
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार। आपको भी हिंदी दिवस की असंख्य शुभ कामनाएं।
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