हाशिये पे ज़िन्दगी रह कर भी सुर्खियाँ कम नहीं होती,
ये बात और है कि हर टपकती बूंद शबनम नहीं होती,
वो कहते हैं, समंदर की तरह ज़ब्त में रहना सीखें हम,
जुनूनी मौजों के सिवा, लेकिन साहिल नम नहीं होती,
कर लो फ़तह ये दुनिया, दिल जीतना यूँ आसां नहीं,
तक़दीर के आसमान पे, नूरे अल्वी हरदम नहीं होती,
मुझ से न मांग, उम्र भर का हिसाब चंद अल्फ़ाज़ में,
सिलसिला है मुहोब्बत का, जो कभी कम नहीं होती,
दौलत, शोहरत, मुख़्तसर ज़िन्दगी, तवील तलाश !
हर टूटता ख़्वाब, लेकिन यूँ रौशन नजम नहीं होती,
-- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
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अर्थ -
नूरे अल्वी - दिव्य ज्योति
तवील - लम्बी
नजम - सितारा
ज़ब्त - नियंत्रण में
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" गुरुवार 18 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंअसंख्य आभार ।
हटाएंबहुत ही सुन्दर सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंअसंख्य आभार ।
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंअसंख्य आभार ।
हटाएंवाह! बहुत खूबसूरत सृजन!
जवाब देंहटाएंअसंख्य आभार ।
हटाएंकर लो फ़तह ये दुनिया, दिल जीतना यूँ आसां नहीं,
जवाब देंहटाएंतक़दीर के आसमान पे, नूरे अल्वी हरदम नहीं होती, ... बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ!
असंख्य आभार ।
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