कभी अंतर्मन से तो फूटे सत्य जल स्रोत,
किसी शुष्क नेत्र में तो जगे जीवन
बीज, कभी अहम् ब्रह्मास्मि
का चक्रव्यूह तो टूटे !
वक्षस्थल से
उभरे
अनमोल भावनाओं के खनिज, हर एक
सांस में है छुपा सुरभित संवेदन,
ज़रूरत है सिर्फ़ एक गहन
आत्म विश्लेषण,
कभी ह्रदय
झील
में तो जागे मानवता का शतदल, लिए
पंखुड़ियों में प्रीत रुपी तुहिन जल।
* *
- शांतनु सान्याल
किसी शुष्क नेत्र में तो जगे जीवन
बीज, कभी अहम् ब्रह्मास्मि
का चक्रव्यूह तो टूटे !
वक्षस्थल से
उभरे
अनमोल भावनाओं के खनिज, हर एक
सांस में है छुपा सुरभित संवेदन,
ज़रूरत है सिर्फ़ एक गहन
आत्म विश्लेषण,
कभी ह्रदय
झील
में तो जागे मानवता का शतदल, लिए
पंखुड़ियों में प्रीत रुपी तुहिन जल।
* *
- शांतनु सान्याल
अनमोल भावनाओं के खनिज, हर एक
जवाब देंहटाएंसांस में है छुपा सुरभित संवेदन,
ज़रूरत है सिर्फ़ एक गहन
आत्म विश्लेषण,
कभी ह्रदय
झील
में तो जागे मानवता का शतदल, लिए
पंखुड़ियों में प्रीत रुपी तुहिन जल।--बहुत अच्छा
latest post: यादें
thanks a lot respected friend - -
जवाब देंहटाएं