इन आँखों के तह में छुपे हैं कितने बरसात
शायद तुम्हें ख़बर नहीं, तुम कभी
पल भर के लिए, मेरी नज़र
से सुलगता जहां
तो देखो,
इस दिल की नाज़ुक धड़कनों में हैं न जाने
कितने ही टूटे शीशमहल, शायद
तुम्हें ख़बर नहीं, तुम किसी
दिन के लिए, मेरे
जज़्बात का
का यूँ
पिघलता आसमां तो देखो, तुम्हारी अपनी
दुनिया है ख़ुशबुओं से लबरेज़, कभी
वक़्त ग़र मिले, मेरे दर्द का
दूर तक बिखरता
कारवाँ तो
देखो,
मेरी नज़र से सुलगता जहां तो देखो - - - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
warning fires - - unknown art
शायद तुम्हें ख़बर नहीं, तुम कभी
पल भर के लिए, मेरी नज़र
से सुलगता जहां
तो देखो,
इस दिल की नाज़ुक धड़कनों में हैं न जाने
कितने ही टूटे शीशमहल, शायद
तुम्हें ख़बर नहीं, तुम किसी
दिन के लिए, मेरे
जज़्बात का
का यूँ
पिघलता आसमां तो देखो, तुम्हारी अपनी
दुनिया है ख़ुशबुओं से लबरेज़, कभी
वक़्त ग़र मिले, मेरे दर्द का
दूर तक बिखरता
कारवाँ तो
देखो,
मेरी नज़र से सुलगता जहां तो देखो - - - -
* *
- शांतनु सान्याल
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वक़्त ग़र मिले, मेरे दर्द का
जवाब देंहटाएंदूर तक बिखरता
कारवाँ तो
देखो,
मेरी नज़र से सुलगता जहां तो देखो - - वाह…. क्या बात…
thanks a lot respected friend - - bhalo thakben
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