समीकरण ज़िन्दगी का आसां नहीं सुलझाना,
तमाम योग वियोग के बाद भी ज़रूरी
नहीं, अंत में शून्य आना, नियति
का अंकगणित है बहोत
ही जटिल, सहज
कहाँ सपनों
का
साकार होना, उनके सभी भविष्यवाणियाँ - -
रहे धरे के धरे, मस्तक की रेखाओं
से है मुश्किल लड़ पाना, मझ -
धार की लहरों से निकल
तो आई नैय्या,
अद्भुत
था उसका किनारे से लग डूब जाना, दूर तक
गूंजती रही उसकी गुहार, सांध्य
आरती के मध्य किसी ने
भी न सुनी उसकी
पुकार, डोलती
नौका
बता न पायी उसका ठिकाना, समीकरण - -
ज़िन्दगी का आसां नहीं सुलझाना,
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
art by elena balekha
तमाम योग वियोग के बाद भी ज़रूरी
नहीं, अंत में शून्य आना, नियति
का अंकगणित है बहोत
ही जटिल, सहज
कहाँ सपनों
का
साकार होना, उनके सभी भविष्यवाणियाँ - -
रहे धरे के धरे, मस्तक की रेखाओं
से है मुश्किल लड़ पाना, मझ -
धार की लहरों से निकल
तो आई नैय्या,
अद्भुत
था उसका किनारे से लग डूब जाना, दूर तक
गूंजती रही उसकी गुहार, सांध्य
आरती के मध्य किसी ने
भी न सुनी उसकी
पुकार, डोलती
नौका
बता न पायी उसका ठिकाना, समीकरण - -
ज़िन्दगी का आसां नहीं सुलझाना,
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
art by elena balekha
अत्यन्त हर्ष के साथ सूचित कर रही हूँ कि
जवाब देंहटाएंआपकी इस बेहतरीन रचना की चर्चा शुक्रवार 13-09-2013 के .....महामंत्र क्रमांक तीन - इसे 'माइक्रो कविता' के नाम से जानाःचर्चा मंच 1368 ....शुक्रवारीय अंक.... पर भी होगी!
सादर...!
thanks respected friend - -
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अभिवयक्ति...
जवाब देंहटाएंthanks respected friend - -
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