सफ़र ज़िन्दगी का रुकता नहीं कभी, कोई
इंतज़ार करे या न करे, हर सांस
को है इक मंज़िल की
तलाश, धुंध
भरे
रास्ते या हों वीरान मरू प्रांतर, स्वप्नील
अंधकार या हों चाँद रात, हर हाल
में ज़िन्दगी को है इक
मंज़िल की
तलाश,
उनकी तजवीज़ों में है कितना अपनापन !
सोचेंगे कभी फ़ुरसत में हम, अभी
तो जी लें अपनी तरह, अभी
तो है दिल को वाज़ी
इक मंज़िल
की
तलाश, दूर हो या आसपास हर सांस को है
इक मंज़िल की तलाश - -
* *
- शांतनु सान्याल
तजवीज़ - सुझाव
वाज़ी - स्पष्ट
इंतज़ार करे या न करे, हर सांस
को है इक मंज़िल की
तलाश, धुंध
भरे
रास्ते या हों वीरान मरू प्रांतर, स्वप्नील
अंधकार या हों चाँद रात, हर हाल
में ज़िन्दगी को है इक
मंज़िल की
तलाश,
उनकी तजवीज़ों में है कितना अपनापन !
सोचेंगे कभी फ़ुरसत में हम, अभी
तो जी लें अपनी तरह, अभी
तो है दिल को वाज़ी
इक मंज़िल
की
तलाश, दूर हो या आसपास हर सांस को है
इक मंज़िल की तलाश - -
* *
- शांतनु सान्याल
तजवीज़ - सुझाव
वाज़ी - स्पष्ट
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