कुछ यादें जो चुभती हैं कांटों की तरह,
उन्हें वक़्त रहते निकाल फेंकना
है बेहतर, नासूर न हो जाए
कहीं दर्द ए जिगर
मेरा, वो
राह
जो ख़ुद में ही हो उलझा हुआ, रात - -
गहराने से पहले उसे भूलना है
बेहतर, हर क़दम पे
ज़िन्दगी लेती
है इम्तहां,
और
दे जाती है हर बार सबक़ नया, गिरह
जो न खुल पाए वक़्त रहते उसे
तोड़ना है बेहतर, न तू ही
है कोई सिकंदर, न
ही मेरी मंज़िल
आख़िर,
यहीं से है मेरा आग़ाज़ सफ़र, अब जो
भी हो आगे, देखा जाएगा - -
* *
- शांतनु सान्याल
आग़ाज़ सफ़र - यात्रा की शुरुआत
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
painting by artist Jacqueline Gnott 1
उन्हें वक़्त रहते निकाल फेंकना
है बेहतर, नासूर न हो जाए
कहीं दर्द ए जिगर
मेरा, वो
राह
जो ख़ुद में ही हो उलझा हुआ, रात - -
गहराने से पहले उसे भूलना है
बेहतर, हर क़दम पे
ज़िन्दगी लेती
है इम्तहां,
और
दे जाती है हर बार सबक़ नया, गिरह
जो न खुल पाए वक़्त रहते उसे
तोड़ना है बेहतर, न तू ही
है कोई सिकंदर, न
ही मेरी मंज़िल
आख़िर,
यहीं से है मेरा आग़ाज़ सफ़र, अब जो
भी हो आगे, देखा जाएगा - -
* *
- शांतनु सान्याल
आग़ाज़ सफ़र - यात्रा की शुरुआत
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
painting by artist Jacqueline Gnott 1
thanks a lot respected friend - - love and regards
जवाब देंहटाएंमन को चुने वाली सुंदर प्रतुति ..
जवाब देंहटाएंprathamprayaas.blogspot.in-
thanks a lot respected friend - -
जवाब देंहटाएं