न जाने है ये कैसी दिलबस्तगी, मैं नहीं मेरे
अन्दर, कोई और सांस लेता नज़र
आए, इक तरफ़ है रस्म
जहान और दूसरी
जानिब
तक़ाज़ा इश्क़ अंतहीन, किधर का रुख़ करे
कोई, हर सिम्त इक उसी का चेहरा
उभरता नज़र आए, उसकी
शर्तों में हैं शामिल
तज़दीद -
हयात तक का, इक अनबुझ क़रारदार - -
कैसे समझाए कोई उनको, दूर तक
है अँधेरा घना, और ये वजूद
फ़ानी, दुनिया ए सिफ़र
में डूबता नज़र
आए - -
* *
- शांतनु सान्याल
तज़दीद - हयात - पुनर्जन्म
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
art by robert burridge
अन्दर, कोई और सांस लेता नज़र
आए, इक तरफ़ है रस्म
जहान और दूसरी
जानिब
तक़ाज़ा इश्क़ अंतहीन, किधर का रुख़ करे
कोई, हर सिम्त इक उसी का चेहरा
उभरता नज़र आए, उसकी
शर्तों में हैं शामिल
तज़दीद -
हयात तक का, इक अनबुझ क़रारदार - -
कैसे समझाए कोई उनको, दूर तक
है अँधेरा घना, और ये वजूद
फ़ानी, दुनिया ए सिफ़र
में डूबता नज़र
आए - -
* *
- शांतनु सान्याल
तज़दीद - हयात - पुनर्जन्म
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art by robert burridge

अच्छा लिखा है..
जवाब देंहटाएंthanks a lot respected friend
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