मालूम है ख़्वाब ओ शीशे में फ़र्क़ कुछ भी
art by Anthony Forster
नहीं, फिर भी आज रात के लिए
कुछ ख़्वाब तो हसीं दे जाए,
बड़ी अहतियात से
सजाई है दिल
की ज़मीं,
कुछ लम्हा सही, कहकशां से उतर कर -
तेरी मुहोब्बत की रौशनी, जिस्म
ओ जां पर कामिल बिखर
जाए - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/art by Anthony Forster
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