महवर ए फ़सील पर न रख ज़िन्दगी मेरी,
कहीं जल के फिर दोबारा अक्स ए
आतिशफिशां न बन जाऊं,
ये तेरी आज़माइश न
कर दे मुझे इक
शोला
ए जुनूं, पिघलूं कुछ इस तरह कि सारी -
दुनिया में बरपे हंगामा, रहने दे
मुझे नर्म ज़मीं के निचे,
नूर ए सहर की
चाहत लिए,
कि तेरी मुहोब्बत में इक दिन वजूद हो
जाए बर्ग ए जदीद - -
* *
- शांतनु सान्याल
अर्थ -
अर्थ -
महवर ए फ़सील - आग की दीवारों के बीच
बर्ग ए जदीद - नया पत्ता
नूर ए सहर - सुबह की किरणआतिशफिशां - ज्वालामुखी
शोला ए जुनूं - आवेगी शिखा
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Artist-Gervie G. Macahia
सो रही मुहब्बत मुक़द्दस ख़्वाब ढंके..,
जवाब देंहटाएंनिगाहे बंद में रंगे-स्याही रखे..,
शबो-महताब लगाए हुवे..,
नर्म सिरहाने पर..,
सिलवट में..,
सिताब..,
मखमली जिस्म तले दबी है सुबहो जैसे..,
रेशमई जुल्फ में बाँधी हुई शब..,
कब हौले से ये करवट बदले..,
और शब् बखैर खुले..,
सहरे-साद फुले..,
शफक..,
कि हुस्न-परस्ती मेरे हाथ उठे, लब कहें..,
सुब्हान अल्लाह तेरी कुदरत.....