22 जनवरी, 2013

इक ख्वाहिश - -

तहलील तो हो जाऊं, ग़र सीप सा दिल 
मिले कोई, एक मुद्दत से हूँ लिए 
सीने में ख़्वाब अबरेशमी,
क़तरात नदा मेरी 
आँखों में 
ठहरे हैं इक ज़माने से यूँ टपकने की 
चाहत लिए हुए - - 
- शांतनु सान्याल 
अर्थ :
तहलील - घुलना 
ख़्वाब अबरेशमी - रेशमी स्वप्न 
क़तरात नदा - ओस की बूंदें 

http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
sea shell art 

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति!
    वरिष्ठ गणतन्त्रदिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ और नेता जी सुभाष को नमन!

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  2. ये वो शै के जहाँ तेरे शाहदाँ का मोल नहीं..,
    राह पे हर शख्श ज़िला बोले है..,
    ये शाहों-साहाबों का..,
    नक्कारखाना है..,
    के जहाँ..,
    जम्हूरियत की तूती आवाज तलाशे है..,
    बिसात बिछी है बाजीगरों की..,
    शहे-मात का खेल..,
    मुसलसल..,
    जारी है.....

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