19 अप्रैल, 2025

प्रश्न चिन्हित अस्तित्व - -

रक्तिम सीमांत में जलते हुए मठ मंदिर,

निरीह लोगों का पलायन, भयाक्रांत
शिशु, टूटे हुए मूर्तियों के अवशेष,
अश्रुझरित आंखें पूछती हैं
उनका आख़िर दोष
क्या है, कहाँ चले
गए मुहोब्बत
के दुकान
वाले,
किस पर यक़ीन करे जब पड़ौसी ही लूट
ले घर अपना, अपने ही देश में हो
जाएं शरणार्थी, गांव जल रहे
हैं शहर हैं धुआं धुआं,
मानवता का दम
भरने वाले
छुपे बैठे
हैं जाने
कहाँ,
क्या यही है मेरा देश तुम्हारा देश, भयाक्रांत
शिशु, टूटे हुए मूर्तियों के अवशेष ।
जिन पर है सुरक्षा का दायित्व
वही धर्मान्धों के मध्य खड़े
हो कर उनका हौसला
बढ़ा रहें हैं, सत्ता
मोह में चूर
हो कर
ग़रीब
सनातनियों का घर जला रहे हैं, वही जयचंद
की भूमिका निभा रहे हैं, हज़ार ग़ज़नवियों
को बुला रहे हैं, ताकि उनका सिंहासन
सलामत रहे, काश हम एकता के
सूत्र में बंध पाते, अपने ही
देश में शांति से जी
पाते, काश
उतार
फेंकते राजनायकों के छद्म भेष, भयाक्रांत
शिशु, टूटे हुए मूर्तियों के अवशेष ।
- - शांतनु सान्याल 

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