15 अप्रैल, 2025

हिमनद के नीचे - -

एक लापता स्रोत, दूर से थम थम कर

आती है जिसकी मद्धम आवाज़,
कोहरे में धुंधले से नज़र आते
हैं कुछ अल्फ़ाज़, किसी
अज्ञात स्वरलिपि में
ज़िन्दगी तलाशती
गुज़िश्ता रात
का टूटा
हुआ
साज़, चाँदनी रात की गहराइयों में हैं
समाधिस्थ असंख्य प्रणय इति -
कथाएं, सामने है खुला
आसमान लेकिन
याद नहीं फ़न
ए परवाज़,
बहुत
कुछ
अपने इख़्तियार में नहीं होता, हर एक
ख़ुशी ज़रूरी नहीं हो उम्रदराज़,
ऊंघते दरख़्तों से हवा करती
सरगोशी, चाँद भी है कुछ
उदास, ये मुमकिन नहीं
उम्र भर कोई बना
रहे ज़िन्दगी के
आसपास,
आँख
बंद
होने के बाद भी काश, बना रहे कोई रूह
ए हमराज़, एक लापता स्रोत, दूर से
थम थम कर आती है जिसकी
मद्धम आवाज़ - -
- - शांतनु सान्याल

4 टिप्‍पणियां:

  1. एक अनजान स्रोत से ही सब आया है और एक दिन उसी में समा जाएगा

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  2. ये मुमकिन नहीं
    उम्र भर कोई बना
    रहे ज़िन्दगी के
    आसपास,
    आँख
    बंद
    होने के बाद भी काश, बना रहे कोई रूह
    ए हमराज़,
    बहुत सटीक , सुन्दर
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं

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