22 जुलाई, 2022

उजाले का क़तरा - -

 

विस्तृत ख़ामोशी में एक अनंत

अंधकार गुफा तलाशती है

एक उजाले का क़तरा,

सभी गुज़र जाते हैं

अपनी अपनी

राह, कहना

बड़ा ही

सहज

है

कि तुम्हें मुझ से है मुहोब्बत बेपनाह, लेकिन ये भी

सच है कि कौन

किस के लिए 

देर तक है

ठहरा, 

अंधकार गुफा तलाशती है एक

 उजाले का क़तरा ।

अक्सर देखता हूँ

मैं एक ग्राफ़,

सूखी और

भरी नदी

के मध्य,

कुछ

सरकते हुए नम बादल खोजते

हैं वीरान पृष्ठों में अतीत के

पद्य, जीवन का रहस्य 

तब लगता है बहुत 

ही गहरा, अंधकार

गुफा तलाशती

है एक उजाले

का

क़तरा ।

**

- - शांतनु सान्याल 




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past