अग्निशिखा :
शांतनु सान्याल : हिंदी / उर्दू कविताएं © It's subject to copyright.
23 अप्रैल, 2012
पतझर से हो कर गुज़रे हैं ये ख़्वाब तमाम रात
तभी उभरते तूफ़ानी हवाओं से नहीं डरते,
हर क़दम इक तलातुम, हर मोड़ पे दुस्वारियां
ताबीरे हयात, जूनूनी बहावों से नहीं डरते,
- शांतनु सान्याल
midnight - midnight - Tania Farrugia
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
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