उस पथ का हूँ पांथस्थ मैं जहाँ मिलते
हैं सागर और आकाश, कुछ पल
का ठहराव, कुछ पल ख़ुद
से संवाद, यूँ ही चलता
रहता है जीवन
प्रवास,
समय का हिंडोला नहीं थमता, कभी
तुम हो शून्य पर, और मैं पृथ्वी
पर एकाकी, कभी खिलते
हैं नागफणी के फूल,
और कभी
असमय
मुरझाए मधुमास, दिवा - निशि अंतहीन
है अंतरतम की यात्रा, उतार चढ़ाव,
शहर जंगल, सरल वक्राकार,
शब्दों का उत्थान पतन,
पीछे मुड़ कर देखने
का नहीं मिलता
अवकाश,
यूँ तो हर शख़्स है यहाँ अपने आप में
गुम, फिर भी पहचानते हैं मुझे
चाँदनी रात, जुगनुओं के
नील प्रकाश, भोर
के बटुए में
बंद सुबह
की
नाज़ुक धूप, गुलाब खिलने की एक
छोटी सी आस, मरुद्यान में
कहीं है एक कुहासामय
पांथ शाला, कुछ
पल का विश्राम,
कुछ क्षण
पुनर्जीवन का एहसास, अश्रु बूंद के - -
अतिरिक्त भी बहुत कुछ है
मेरे पास, उस पथ का
हूँ पांथस्थ मैं जहाँ
मिलते हैं सागर
और आकाश,
आहत
पांथ पखेरू को है पुनः उड़ने का विश्वास !
* *
- - शांतनु सान्याल
25 अगस्त, 2022
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वाह! इस कविता के बटुए से निकलती आशा की स्वर्ण मुद्राएं!!
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद मान्यवर / आदरणीया।
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 26 अगस्त 2022 को 'आज महिला समानता दिवस है' (चर्चा अंक 4533) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
असंख्य धन्यवाद मान्यवर / आदरणीया।
हटाएंआशा का संचार करती
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और सुंदर रचना
असंख्य धन्यवाद मान्यवर / आदरणीया।
हटाएंजीवन खुद से संवाद का दूसरा नाम है
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद मान्यवर / आदरणीया।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद मान्यवर / आदरणीया।
हटाएंवाह! लाजवाब!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
बहुत ही सुंदर लिंक धन्यवाद आपका
Diwali Wishes in Hindi Diwali Wishes
असंख्य धन्यवाद मान्यवर / आदरणीया।
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