अभी बहोत बाक़ी है
फिर जलाएं शमा कि रात अभी बहोत बाक़ी है,
ये अँधेरा न डस जाये कहीं मेरी ख्वाहिश -
निकले ही नहीं, जज़्बात अभी बहोत बाक़ी है,
वक़्त ने निभाया साथ, उसकी मर्ज़ी से -
ज़रासे घिरे बादल, बरसात अभी बहोत बाक़ी है,
उस शिफ़र के पार भी है ज़िन्दगी शायद
दिल के अलावा, कायनात अभी बहोत बाक़ी है,
मेरी सांसों से गुज़र कर, देखो कभी तुम -
ख़्वाब तो देखा, अशरात अभी बहोत बाक़ी है,
ये जूनून कहीं न कर जाय मुझे राख़ कि
मुसलसल दहन , निजात अभी बहोत बाक़ी है .
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