वो राहें जो कभी लौट आती नहीं, देखा -
है, तुम्हें ये ज़िन्दगी उसी राह से गुज़रते,
सूखे पत्तों के हमराह, मौसम बदल गए
देखा है, आसमां को अक्सर रंग बदलते,
अहाते के सभी बेल छू चले मुंडेर की ईंट,
उदास अक्श जाने क्यूँ फिर नहीं खिलते,
उनकी हर बात में है, ख़ुश्बुओं का गुमां -
उड़ चले बादल, चाह कर भी नहीं बरसते,
सांसों की धूप छांव, उन निगाहों की नमी
छू जाय दिल, वो मिलके भी नहीं मिलते,
चांदनी छिटकी है वादियों में फिर बेशुमार
वो सिमटे हैं इस तरह, कभी नहीं बिखरते,
पढ़ जाते हैं सभी राज़े दिल, यूँ निगाहों से,
लबों से वो, लेकिन कभी कुछ नहीं लिखते,
-- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
है, तुम्हें ये ज़िन्दगी उसी राह से गुज़रते,
सूखे पत्तों के हमराह, मौसम बदल गए
देखा है, आसमां को अक्सर रंग बदलते,
अहाते के सभी बेल छू चले मुंडेर की ईंट,
उदास अक्श जाने क्यूँ फिर नहीं खिलते,
उनकी हर बात में है, ख़ुश्बुओं का गुमां -
उड़ चले बादल, चाह कर भी नहीं बरसते,
सांसों की धूप छांव, उन निगाहों की नमी
छू जाय दिल, वो मिलके भी नहीं मिलते,
चांदनी छिटकी है वादियों में फिर बेशुमार
वो सिमटे हैं इस तरह, कभी नहीं बिखरते,
पढ़ जाते हैं सभी राज़े दिल, यूँ निगाहों से,
लबों से वो, लेकिन कभी कुछ नहीं लिखते,
-- शांतनु सान्याल
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