जाने कहाँ जाएँ
नजुमे महफ़िल, बज़्मे कहकशां हो मुबारक
अँधेरी बस्तियों से गुज़रती हैं मेरी राहें,
उदास, मायूस चेहरे, ग़मज़दा, बेरौनक हयात
हैं तमाम अह्बाबे जीस्त, सिर्फ़ मेरी चाहें,
उन पहाड़ियों के पार भी बसती है कोई दुनिया
खिलते हैं ख़ाके गुल, मुस्कुराती हैं कराहें,
टूटे पुल के अहाते रख आया, सभी हर्फ़े मुहोब्बत
ख़ुदा जाने बेहतर,नसीब कहाँ बहा ले जाए,
वो सायादार दरख़्त, बहारों में शायद फिर खिले !
हम तो चल दिए, तन्हां रास्ता जहाँ ले जाए,
हमें मालूम है लौटती सदाओं की हालत, ये दोस्त
बिखरने से पहले शायद बादे नसीम उड़ा ले जाए,
-- शांतनु सान्याल
नजुमे महफ़िल - सितारों की महफिल
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