न जाने फिर किस मक़ाम पे हो -
मुलाक़ात, कुछ मुस्कान
अपने साथ तो लेते
जाइए, मिलें
न मिलें
दोबारा, ये तो अख़तियार ए - - -
तक़दीर की है बात, फिर
भी, दोबारा मिलने
का अरमान,
अपने
दिल में लेते जाइए, कहने को ये -
दुनिया है बहोत ही उलझी हुई,
फिर भी इक मुश्त
आसमान,
मेरे हिस्से का अपने साथ तो लेते
जाइए - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
feelings
मुलाक़ात, कुछ मुस्कान
अपने साथ तो लेते
जाइए, मिलें
न मिलें
दोबारा, ये तो अख़तियार ए - - -
तक़दीर की है बात, फिर
भी, दोबारा मिलने
का अरमान,
अपने
दिल में लेते जाइए, कहने को ये -
दुनिया है बहोत ही उलझी हुई,
फिर भी इक मुश्त
आसमान,
मेरे हिस्से का अपने साथ तो लेते
जाइए - -
* *
- शांतनु सान्याल
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