न दिखाओ मुझे गुल ए ख़्वाब कोई,
जिसके मुरझाने का इमकां रहे
तारी रात भर, इतना भी
अपनापन ठीक
नहीं कि
आँख खुलते बिखर जाए आसमां -
की जामियत, क़तरा क़तरा
नज़र आए मासूम
वजूद मेरा,
और तुम मुस्कुराओ उफ़क़ पार यूँ
गोया हो चला हो वक़्त से पहले
रंग तलुअ फ़ज़र कोई !
कुछ तो वक़्त
दो मुझे,
कि तुम्हें अहसास करने से पहले - -
साँसों को संभलना आ जाए !
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
bougainvilla_blooms
जिसके मुरझाने का इमकां रहे
तारी रात भर, इतना भी
अपनापन ठीक
नहीं कि
आँख खुलते बिखर जाए आसमां -
की जामियत, क़तरा क़तरा
नज़र आए मासूम
वजूद मेरा,
और तुम मुस्कुराओ उफ़क़ पार यूँ
गोया हो चला हो वक़्त से पहले
रंग तलुअ फ़ज़र कोई !
कुछ तो वक़्त
दो मुझे,
कि तुम्हें अहसास करने से पहले - -
साँसों को संभलना आ जाए !
* *
- शांतनु सान्याल
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सुन्दर-भाव-पूर्ण अभिव्यक्ति । बधाई ।
जवाब देंहटाएंthanks a lot respected friend
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