हर एक लम्हा अपनी जगह रखता है
अहमियत, इक ख़्वाब ही तो
है टूटा, निगाहों में
उम्मीद तो
बाक़ी
है, बिखरे हैं जाम के टुकड़े फ़र्श पर -
बेतरतीब, तो क्या, मेरे पहलू
में वजूद ए साक़ी है, न
देख यूँ मुड़ मुड़
के दर ए
आसमां से, उजालों के लिए ज़मीर -
मेरा काफ़ी है, तेरा जाना
बेशक है इक कमी,
लेकिन, अभी
तलक
वादियों में बहार आना बाक़ी है, कैसे
कहूँ ख़ुदा हाफ़िज़, ज़िन्दगी
का सफ़र अभी तो
बहोत बाक़ी
है - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
blooming feeling.jpg
अहमियत, इक ख़्वाब ही तो
है टूटा, निगाहों में
उम्मीद तो
बाक़ी
है, बिखरे हैं जाम के टुकड़े फ़र्श पर -
बेतरतीब, तो क्या, मेरे पहलू
में वजूद ए साक़ी है, न
देख यूँ मुड़ मुड़
के दर ए
आसमां से, उजालों के लिए ज़मीर -
मेरा काफ़ी है, तेरा जाना
बेशक है इक कमी,
लेकिन, अभी
तलक
वादियों में बहार आना बाक़ी है, कैसे
कहूँ ख़ुदा हाफ़िज़, ज़िन्दगी
का सफ़र अभी तो
बहोत बाक़ी
है - -
* *
- शांतनु सान्याल
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तुफानो से लड़ो,तेज लहरों से उलझो
जवाब देंहटाएंकहाँ तक चलोंगे ,किनारे किनारे ........{रजा हमदानी }
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सुंदर रचना
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“महात्मा गाँधी :एक महान विचारक !”
thanks respected friend - - regards
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