उभरने दे मुझे बेक़रार लहरों से ज़रा,
ग़र हो सके तो करना इंतज़ार
साहिल ए शिकस्ता पे
मेरा, है मुझे
ऐतबार
तेरे इश्क़ हक़ीक़ी पे इस क़दर, तुझे
पाने की हसरत में मौज ए
दरिया तो क्या, हर
क़यामत से
गुज़र
जाऊं मैं, रस्म ज़माना, ईमान ओ -
अक़ीदत रहे अपनी जगह,
इक तेरी नज़र की
बात है फिर
किसे
चाहिए पोशीदा आसमानी खुशियां !
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
flowers of fence
ग़र हो सके तो करना इंतज़ार
साहिल ए शिकस्ता पे
मेरा, है मुझे
ऐतबार
तेरे इश्क़ हक़ीक़ी पे इस क़दर, तुझे
पाने की हसरत में मौज ए
दरिया तो क्या, हर
क़यामत से
गुज़र
जाऊं मैं, रस्म ज़माना, ईमान ओ -
अक़ीदत रहे अपनी जगह,
इक तेरी नज़र की
बात है फिर
किसे
चाहिए पोशीदा आसमानी खुशियां !
* *
- शांतनु सान्याल
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