शिद्दत ए ग़म जो भी हो, ज़िन्दगी
से निबाह ज़रूरी है, मुस्कराते
हैं भीगी पलक लिए, वो
यूँ अक्सर तनहा !
बहार आने
से पहले,
जैसे
ख़ुशबू ए अफ़वाह ज़रूरी है, कोई
मिले न मिले जीने के लिए
लेकिन इक चाह
ज़रूरी है - -
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (18-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंवाकई जरूरी है !
बिल्कुल सही कहा !
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद प्रिय मित्रों - नमन सह
जवाब देंहटाएं