मेरा हर क़दम उसकी जानिब बढ़ा,
ये और बात है कि वो दूर ही
रहा, इन दूरियों में हैं
कितने मरहले
न ये वो
जान
पाए न दिल कह सका, फिर भी न
जाने क्यूँ, वो मेरा हमनफ़स
रहा, कभी निगाहों से
जा दिल की ला -
महदूद
गहराई तलक, वो मुझे तलाशता
रहा, कभी मेरे जिस्म की
रग़ों से गुज़र, वो
सांसों से यूँ
बिखरता
रहा गोया बिन खिला कोई गुमनाम
गुल हो मौजूद मेरे अन्दर, न ही
मौसम ए बहार की आमद,
न वादियों में है ख़ुमार
कोई, फिर भी न
जाने क्यूँ
ज़िन्दगी सुबह ओ शाम अपने आप
अक्सर महकता रहा - - -
खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों
जवाब देंहटाएंमें कोमल निशाद और बाकी स्वर
शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित है,
पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग
बागेश्री भी झलकता है...
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर
ने दिया है... वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में
चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती
है...
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