04 नवंबर, 2021

दीपावली मंगलमय हो - -

फिर हों बुझे चिराग़ रौशन, ज़िन्दगी
फिर बने दिवाली की रात, कुछ
खो दिया है अंधेरे में कहीं,
बहुत कुछ पा भी लिया
है उजाले के साथ,
दुआओं के लौ
जलते रहें अंतरतम की गहराइयों में अनवरत,
आँधियों का क्या है आते जाते
रहेंगे हमेशा की तरह, बस
इल्तिज़ा है इतनी कि
अपनों का कभी
न छूटे हाथ,
बहुत
कुछ पा भी लिया है उजाले के साथ।
- - शांतनु सान्याल
 

3 टिप्‍पणियां:

  1. दुआओं के लौ
    जलते रहें अंतरतम की गहराइयों में अनवरत,
    आँधियों का क्या है आते जाते
    रहेंगे हमेशा की तरह,

    –सार्थक सुन्दर लेखन

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