16 मई, 2020

अब कोई दुआ न देना - -


अब लम्बी उम्र की दुआ न देना
के अब बहलने की उमर नहीं 
हमारी, इक मीठा सा है
ख़ुमार रूह की
गहराइयों
तक,
वो नशा जो चेहरे तक आ
के सिमट जाए, वो
चाहत अपने
आप उतर
गई
सारी । चाँदनी का लिबास
ओढ़े कब तक इंतज़ार
करे कोई, झरते
फूलों के
साथ
आख़िर, ये रात भी यूँ ही सो
गई बेचारी, तर्जुमा है
बहोत मुश्किल,
रहने दे गुम,
तहे -
निगाह भूली हुई दास्ताँ हमारी।
- - शांतनु सान्याल


2 टिप्‍पणियां:


  1. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    17/05/2020 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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