न छू मुझे यूँ अपनी गर्म साँसों से,
रहने दे कुछ देर और ज़रा
यूँ ही, मोम में ढला
सा मेरा वजूद,
अभी तो
सिर्फ़ डूबा है सूरज, अँधेरे को कुछ
और सँवर जाने दे, कुछ और
ज़रा दिल के आईने में,
अक्स ए जुनूं
उभर जाने
दे, न
पूछ मेरे मेहबूब, छलकती आँखों
के ये राज़ गहरे, इक उम्र नहीं
काफ़ी, इनमें डूब के उस
पार निकलने के
लिए, कई
जनम
चाहिए इसकी तह तक पहुँचने के
लिए - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
Mary Maxam - paintings
रहने दे कुछ देर और ज़रा
यूँ ही, मोम में ढला
सा मेरा वजूद,
अभी तो
सिर्फ़ डूबा है सूरज, अँधेरे को कुछ
और सँवर जाने दे, कुछ और
ज़रा दिल के आईने में,
अक्स ए जुनूं
उभर जाने
दे, न
पूछ मेरे मेहबूब, छलकती आँखों
के ये राज़ गहरे, इक उम्र नहीं
काफ़ी, इनमें डूब के उस
पार निकलने के
लिए, कई
जनम
चाहिए इसकी तह तक पहुँचने के
लिए - -
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