29 जून, 2014

खोयी हुई बहारें - -

कुछ देर यूँ ही रहने दे आबाद, मेरी
ख़्वाबों की दुनिया, ये सितारों
की बस्ती, ये सिफ़र में
तैरते रौशनी के
धारे, आज
की रात
गोया सिमट सी आई है कायनात
तेरी निगाहों के किनारे, न
कोई बुतख़ाना, न कोई
बेशक्ल ख़ुदा मेरा,
फिर भी न
जाने -
क्यूँ तेरे इश्क़ में ज़िन्दगी को मिल
गई है, मुद्दतों खोयी हुई बहारें।

* *
- शांतनु सान्याल  

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art by miki 

28 जून, 2014

अक्स ए जुनूं - -

न छू मुझे यूँ अपनी गर्म साँसों से,
रहने दे कुछ देर और ज़रा 
यूँ ही, मोम में ढला 
सा मेरा वजूद, 
अभी तो 
सिर्फ़ डूबा है सूरज, अँधेरे को कुछ 
और सँवर जाने दे, कुछ और 
ज़रा दिल के आईने में, 
अक्स ए जुनूं 
उभर जाने 
दे, न 
पूछ मेरे मेहबूब, छलकती आँखों 
के ये राज़ गहरे, इक उम्र नहीं 
काफ़ी, इनमें डूब के उस 
पार निकलने के 
लिए, कई 
जनम 
चाहिए इसकी तह तक पहुँचने के 
लिए - - 

* *
- शांतनु सान्याल  



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Mary Maxam - paintings

21 जून, 2014

पारदर्शी सत्ता - -

अंतहीन जीवन यात्रा, असंख्य क्षितिज 
रेखाएं, अथाह नेह सरोवर, उदय -
अस्त के मध्य सृष्टि का 
नित काया कल्प,
अनबूझ 
अंतरिक्ष, विस्तृत छाया पथ, महाशून्य 
के मध्य चिरंतन, प्रवाहित आलोक 
निर्झर, लौकिक द्वंद्व से 
मुक्त एक महत 
अनुभूति,
हर एक श्वास में वो अन्तर्निहित, हर 
एक अश्रु कण में वो उद्भासित,
रिक्त थे समस्त पृष्ठ,
जब नियति ने 
खोला जीवन 
ग्रन्थ !
सभी अपने पराए थे बहुत मौन या थी 
छद्म वेश की पुनरावृत्ति, उस 
शाश्वत सत्य के समक्ष 
लेकिन, हर एक 
अस्तित्व 
था पूर्ण उलंग, पारदर्शी उस सत्ता से 
बचना नहीं सहज - - 

* * 
- शांतनु सान्याल 
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lotus lake 

12 जून, 2014

इक लम्हा कोई - -

इक लम्हा कोई तेरी ओंठों से -
चुराया हुआ, मुद्दतों से 
हम, जिसे सीने 
से लगाए 
बैठे 
हैं, उठ रहे हैं बादलों के बवंडर,
रह रह कर, न जाने किस 
हसरत में, तहे दिल 
हम इक चिराग़ 
जलाए बैठे 
हैं, दूर 
तक है बिखरी हुई ख़मोशियाँ,
आसमां भी है कुछ 
बदगुमां सा,
फिर भी 
न 
जाने क्यूँ हम, निगाहों में इक 
जहान ए रौशनी सजाए 
बैठे हैं, ये सच है, कि 
तेरी दुनिया में 
मेरी 
हस्ती, इक बूँद से ज़्यादा कुछ 
भी नहीं, फिर भी न जाने 
क्यूँ  दिल में, हम 
समंदर की 
आस 
लगाए बैठे हैं, इक लम्हा कोई 
तेरी ओंठों से चुराया हुआ, 
मुद्दतों से हम, जिसे 
सीने से लगाए 
बैठे हैं - - 

* * 
- शांतनु सान्याल 
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oil painting by Doris Joa

09 जून, 2014

अंतहीन आसमान - -

सजल भावनाओं को यूँ ही अंतहीन 
आसमां मिले, कोई रहे न रहे 
तेरे आसपास, लेकिन 
तुझे रौशनी में 
डूबा हुआ 
कारवां मिले, मिन्नतों की सदा - - 
लौटती नहीं बाज़गश्त बन 
कर, दरगाह से बढ़ 
कर तेरे दिल 
को इक
पाकीज़ा मकां मिले, तेरी निगाहों में 
हो अक्स इंसानियत, कि राह 
शोज़िश में भी तुझे कहीं 
न कहीं सादिक़ 
रहनुमां 
मिले, यूँ तो ज़माने की इस भीड़ में -
फ़ेहरिश्त ए हमदर्द है बहुत 
लम्बी, जो आदमी को 
समझे सिर्फ़ 
आदमी !
नाम निहाद कोई तो सच्चा इन्सां -
मिले।

* * 
- शांतनु सान्याल  

 बाज़गश्त - प्रतिध्वनि 
शोज़िश - जलता हुआ 
सादिक़ - ईमानदार 
नाम निहाद - तथा कथित 

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art by RoseAnn Hayes

06 जून, 2014

सूखे पत्तों के ढेर - -

अजायबघर की तरह कभी कभी 
अहसास हो जाते हैं बहोत 
ख़ामोश, निर्जीव से, 
काँच के डिब्बों 
में बंद !
जीवित अंगों में अदृश्य जीवाश्म 
की प्रक्रिया ! दरअसल हम 
ख़ुद से निकलना ही 
नहीं चाहते, जाने 
अनजाने 
फँसे 
रहते हैं रेशमकोश के मध्य, और 
ख़ूबसूरत मौसम बदल जाते 
हैं निःशब्द, रफ़्तार भरी 
इस दुनिया में कोई 
किसी के लिए 
नहीं रुकता, 
जब 
बाहर आने की ख़्वाहिश जागती 
है दिल में, तब रहता है बाक़ी 
राहों में बिखरे हुए सूखे 
पत्तों के ढेर - - 

* * 
- शांतनु सान्याल 


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art by linda blondheim.jpg 1

05 जून, 2014

बहुत दूर कहीं - -

फिर कोई रात ढले, सजा गया 
ख़ुश्बुओं से शून्य बरामदा, 
दिल की परतों पे अब 
तलक हैं शबनमी 
अहसास, वो 
कोई 
ख़्वाब था या जागी नज़रों का 
भरम, कहना है बहोत 
मुश्किल, तमाम 
रात, जिस्म 
वो रूह 
थे गुम किसी अनजान द्वीप 
में, जुगनुओं के सिवा, 
वहां कोई न था 
राज़दार
अपना, हम जा चुके हैं बहोत 
दूर तेरी महफ़िल से 
ये दुनिया 
वालों !

* * 
- शांतनु सान्याल 
  

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art by ledent pol

02 जून, 2014

कहीं न कहीं - -

उन मुंतज़िर निगाहों में है मेरा
इंतज़ार कहीं न कहीं, ये
और बात है, कि वो
देखते हैं नज़र
चुराए
आसमां की जानिब, पिघलते
बादलों में है शायद मेरा
प्यार कहीं न कहीं,
यूँ तो सारा
शहर
है मुख़ालिफ़ मेरे, लेकिन उस
के दिल में है मेरी बेगुनाही
का ऐतबार कहीं न
कहीं, वक़्त के
आईने में
मेरा
वजूद कुछ भी नहीं, फिर भी
न जाने क्यों, उसका
ज़मीर है सिर्फ़,
मेरा ही
तलबगार कहीं न कहीं, उन
मुंतज़िर निगाहों में
है मेरा इंतज़ार
कहीं न
कहीं।

* *
- शांतनु सान्याल
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painting-watercolor-flowers 

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past