28 नवंबर, 2012

दो लफ्ज़

वो अभी तलक है सांसों में शामिल, बेइन्तहा 
इक जावेदान ख़ुश्बू की तरह, कोई भी 
चेहरा नहीं दर मुक़ाबिल उसके,
उस बाज़ताब चश्म में मैंने 
देख ली सारी दुनिया,
अब हर एक 
नज़र 
है बेमानी उस ख़ूबसूरत निगाह के सामने - - !
- शांतनु सान्याल 

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