कर सके तो करो मुझे अहसास, अभी इसी पल,
जां तो महज है उठती गिरती सांसों का
इक ताना बाना, हमने तो रूह
तक लिख दी तुम्हारे
नाम, नतीजा
जो भी
हो इस दीवानगी का, आतिशफिशां कहो या -
कोई और सुलगता सा तुफ़ान, इक
जूनून ए फ़िदा है मेरी चाहत,
आसमां से भी लौट
आती है हर
दफ़ा, दे
दस्तक दरब इल्ही, कि तुमसे अलहदगी हमें
मंज़ूर नहीं - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
दरब इल्ही - स्वर्ग द्वार
Painting by Jurek Zamoyski 
बहोत बहोत शुक्रिया जनाब - -
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