उठा कुछ इस तरह, हिजाब उसके
moonlit flower
चेहरे से, गोया बिखरती हो
ख़ुश्बू, रात गहराए
जास्मिन की
नाज़ुक
शाख़ों से ! बेहोश से जिस्म ओ -
ज़ेहन, वो चांदनी थी या
कोई ख़ुमार आलूद
साया, इक
अनचाहा ख़ूबसूरत नशा, या राज़
पोशीदा, ख़ुदा जाने वो क्या
था, इक तलातुम
ज़िन्दगी को
दे गया - -
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
बहुत खूबसूरत चित्र
जवाब देंहटाएंthanks respected friend
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंthanks a lot respected friend for precious comment - -
जवाब देंहटाएंभाँति भाँति के फुल खिले भाँति भाँति के रंग ।
जवाब देंहटाएंभाँति भाँति भाषा मिले भरत भूमि के खंड ( हिन्दी उर्दू वंग ) ।।
बेहतरीन मंतव्य - - असंख्य धन्यवाद
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