24 नवंबर, 2023

शून्य हिस्सा - -

 तक़सीम का दायरा था हद ए नज़र के पार,

बिखरना लिखा था तक़दीर में हर एक बार,


कुछ भी न रहा नज़दीक इक सांस के सिवा,

चिराग़ बुझ चले हैं न रहा किसी का इंतज़ार,


वादियों में बिछ चले हैं, सुदूर गुलों के चादर,

किसी के लिए नहीं रुकता रस्म ए कारोबार,


हर किसी की होती है अलग अलग तरजीह,

भला बुरा जो भी हो, हम ख़ुद हैं जवाबदार, 


कोई वादा नहीं निभाता सभी रिश्ते हैं रस्मी,

यहां किसी को नहीं किसी से कोई सरोकार,


सभी सच जान कर, भी ज़िंदगी रुकती नहीं,

निरंतर आसमां में सजता है तारों का दरबार,


- शांतनु सान्याल

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 26 नवम्बर 2023 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

    जवाब देंहटाएं
  2. हम ही निभाते चलें इतना ही काफ़ी है
    सरोकार कोई रखे न रखे काबिले माफ़ी है

    जवाब देंहटाएं

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past