हथेली में कहीं आज भी है
रौशनदान से उतरती एक
बूंद रौशनी की दुनिया,
अलस दुपहरी में
जैसे उतरती
हों नीम
से निःशब्द परछाइयां । यूँ
तो ज़िन्दगी के आसपास
खंडहरों की कमी नहीं,
फिर भी न जाने क्यूं
दिल के आईने में
धूल जमी नहीं।
सब कुछ
बदल
जाता है, चाहे चेहरा हो या
चश्मा, एक मीठा सा
एहसास वक़्त के
साथ हो जाता
है अनंत
नग़मा।
- शांतनु सान्याल
रौशनदान से उतरती एक
बूंद रौशनी की दुनिया,
अलस दुपहरी में
जैसे उतरती
हों नीम
से निःशब्द परछाइयां । यूँ
तो ज़िन्दगी के आसपास
खंडहरों की कमी नहीं,
फिर भी न जाने क्यूं
दिल के आईने में
धूल जमी नहीं।
सब कुछ
बदल
जाता है, चाहे चेहरा हो या
चश्मा, एक मीठा सा
एहसास वक़्त के
साथ हो जाता
है अनंत
नग़मा।
- शांतनु सान्याल
If you looking for Publish a book in India contact us today for more information
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद आदरणीय मित्र - - नमन सह।
हटाएं