हमेशा की तरह फिर हाथ हैं ख़ाली, अंजुरियों
से जो गुज़र गए उनका अफ़सोस नहीं,
कुछ नेह रंग यूँ घुले मेरी रूह में
कि चाह कर भी अब उनसे
निजात नहीं, न जाने
कितनी बार ओढ़ी
है ख़्वाबों के
पैरहन,
ये ज़िन्दगी फिर भी लगे है इक ख़ूबसूरत - -
उतरन। सूखे पत्तों का वजूद जो भी
हो, मौसम को तो है हर हाल में
बदलना, मेरे घर का पता
तुम्हें याद रहे या न
रहे, हर मोड़ पर
है कहीं न
कहीं
पुरअसरार दहलीज़ ! ऐ दोस्त, दस्तक से पहले
ज़रा संभलना। सूखे पत्तों का वजूद जो
भी हो, मौसम को तो है हर हाल में
बदलना।
* *
- शांतनु सान्याल
से जो गुज़र गए उनका अफ़सोस नहीं,
कुछ नेह रंग यूँ घुले मेरी रूह में
कि चाह कर भी अब उनसे
निजात नहीं, न जाने
कितनी बार ओढ़ी
है ख़्वाबों के
पैरहन,
ये ज़िन्दगी फिर भी लगे है इक ख़ूबसूरत - -
उतरन। सूखे पत्तों का वजूद जो भी
हो, मौसम को तो है हर हाल में
बदलना, मेरे घर का पता
तुम्हें याद रहे या न
रहे, हर मोड़ पर
है कहीं न
कहीं
पुरअसरार दहलीज़ ! ऐ दोस्त, दस्तक से पहले
ज़रा संभलना। सूखे पत्तों का वजूद जो
भी हो, मौसम को तो है हर हाल में
बदलना।
* *
- शांतनु सान्याल
सुन्दर। होली की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-03-2019) को "गीत खुशी के गाते हैं" (चर्चा अंक-3283) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
असंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
हटाएं
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
24/03/2019 को......
[पांच लिंकों का आनंद] ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
असंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
हटाएंआपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" आज शनिवार 23 मार्च 2019 को साझा की गई है......... मुखरित मौन पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
हटाएंवाह्ह्ह अनुपम ।
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
हटाएंबहुत खूब...... लाजवाब
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
हटाएंये ज़िन्दगी फिर भी लगे है इक ख़ूबसूरत - -
जवाब देंहटाएंउतरन।
बहुत सुन्दर... लाजवाब...
असंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
हटाएंबहुत खूब.... सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
हटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
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