कुछ एहसास होते हैं सोंधी ख़ुश्बू
की तरह मिटते नहीं उम्र भर,
अगरचे बारिश आती
जाती रही मौसमी
हवाओं के
साथ
अक्सर, कुछ मोह सूत होते हैं
अमरबेल की तरह, सिमटते
नहीं उम्र भर। कौन सा
अहद था जो दिल
से उतर कर
रूह तक
दख़ल
कर गया, इस मोम के दहन हैं - -
अनंत, ये हर हाल में पिघलते
नहीं उम्र भर। पिंजरे
की नियति में है
शून्यता,चाहे
मायावी
तंतु से कसो जितना, सीने के कुछ
अदृश्य अनल हैं चिरकालीन,
सुलगते नहीं उम्र भर।
इस जीवन
उत्सव
का,
अपना ही है अलग आलोकमय - - -
शामियाना, उभरते टूटते
तारों की रौशनी ग़र
खो जाएं तो
मिलते
नहीं
उम्र भर।
* *
- शांतनु सान्याल
की तरह मिटते नहीं उम्र भर,
अगरचे बारिश आती
जाती रही मौसमी
हवाओं के
साथ
अक्सर, कुछ मोह सूत होते हैं
अमरबेल की तरह, सिमटते
नहीं उम्र भर। कौन सा
अहद था जो दिल
से उतर कर
रूह तक
दख़ल
कर गया, इस मोम के दहन हैं - -
अनंत, ये हर हाल में पिघलते
नहीं उम्र भर। पिंजरे
की नियति में है
शून्यता,चाहे
मायावी
तंतु से कसो जितना, सीने के कुछ
अदृश्य अनल हैं चिरकालीन,
सुलगते नहीं उम्र भर।
इस जीवन
उत्सव
का,
अपना ही है अलग आलोकमय - - -
शामियाना, उभरते टूटते
तारों की रौशनी ग़र
खो जाएं तो
मिलते
नहीं
उम्र भर।
* *
- शांतनु सान्याल
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