28 नवंबर, 2012
27 नवंबर, 2012
हमदर्द नज़र - -
इक इंतज़ार जो दे जाए ज़िन्दगी को
ख़ुशगवार मानी, इक शाम
कभी ग़लती से ही सही
लिख जा मेरे
नाम - -
कब से हैं मअतर जज़्बात के दरिचे,
कोई लम्हा रख जा मेरी सुर्ख़
निगाहों में शबनमी
ख़्वाब की
तरह,
मालूम है मुझे रेगिस्तां की हक़ीक़त !
कभी किसी दिन के लिए मेरी
जां, भिगो जा पल दो पल
के लिए वीरां पड़े
ज़िन्दगी के
रास्ते,
किसी भूले हुए बादलों के मानिंद, कि
तकती हैं, उदास आँखें तेरी
इक हमदर्द नज़र के
लिए - -
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/23 नवंबर, 2012
अहसास ए गुलदान - -
नफ़्स मेरा निजात पा न सका, बड़ी
इसरार
आमेज़ - रहस्यमयी
painting by BARBARA FOX 2
नफ़ासत के साथ उसने सजायी
अहसास ए गुलदान, कुछ
तो है उसकी इसरार
आमेज़ निगाहों
की रौशनी
में, ज़िन्दगी हर क़दम संवर जाती
है बिखरने से पहले, वो शख्स
जो मुझे ले जाए अक्सर
तसव्वुर से आगे,
किसी और
ही जहान में, जहां गुलज़ार हैं सभी
गुल ओ ख़ार, अपनी अपनी
अंदरूनी ख़ूबसूरती
लिए हुए - -
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/इसरार
आमेज़ - रहस्यमयी
20 नवंबर, 2012
न जाने क्या था - -
उठा कुछ इस तरह, हिजाब उसके
moonlit flower
चेहरे से, गोया बिखरती हो
ख़ुश्बू, रात गहराए
जास्मिन की
नाज़ुक
शाख़ों से ! बेहोश से जिस्म ओ -
ज़ेहन, वो चांदनी थी या
कोई ख़ुमार आलूद
साया, इक
अनचाहा ख़ूबसूरत नशा, या राज़
पोशीदा, ख़ुदा जाने वो क्या
था, इक तलातुम
ज़िन्दगी को
दे गया - -
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/15 नवंबर, 2012
रूह कामिल - -
पैमाना जो भी हो किसी की नज़र में,
इस्लाह - सुधार
रूह कामिल - परिपूर्ण आत्मा
Artist Steven Townsend
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
वो शख्स कोई दूसरा नहीं मेरे
अलावा, जो खौफ़ज़दा
सा है ख़ुद की
नज़र में, ऐतराफ़ करना था बहोत -
मुश्किल, अक्स था वाज़ी
अपनी जगह, इक
लम्बी सी
फ़हरिस्त नाज़ुक हर्फ़ों में लिखी, वो
लापता हिसाब या था कोई
उम्र भर की पोशीदा
नक्क़ासी,
उभरती रही बारहा छुपाने के बाद !
इक साया सा है, जो कर
जाता है परेशां, हर
क़दम जिंदगी
चाहती है,
इस्लाह मुसलसल, कोई नहीं यहाँ
रूह कामिल - -
- शांतनु सान्याल
ऐतराफ़ - ख़ुद को पहचानना इस्लाह - सुधार
रूह कामिल - परिपूर्ण आत्मा
Artist Steven Townsend
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
11 नवंबर, 2012
निजात - -
बहुत दूर आने के बाद, न करो लौट जाने की
painting by Felipe D Tapia
बात, मुमकिन कहाँ सांसों का वापस
आना, इक बार ग़र हो जाए
कहीं तबादिल, दिल
ओ जां, अब
ताउम्र
ए ताल्लुक़ का बिखर जाना नहीं आसां, ये -
और बात है कि बदल जाओ, राह ए
मंज़िल अपनी, बहोत ही
मुश्किल है, अहसास
ए रूह से यूँ
निजात
पाना, ख़ामोश ! ज़िन्दगी से कहीं और यूँ ही
निकल जाना, हर एक मरहले पे
होगी मौजूद, कराह ए
इश्क़, क़दम
बढ़ाना
भी चाहोगे तो साँस उभर आएगी - - - - - -
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/02 नवंबर, 2012
आख़री पहर - -
ख़्वाब टूटने का सोग मनाएं क्यूँ कर !
सफ़ाफ़ चश्म - पारदर्शी आँख
पोशीदा - छुपा हुआ
सफ़ा दर सफ़ा - पृष्ठ प्रति पृष्ठ
वहमआलूद - मायावी
art of steave phillips
--آخری پہر
خواب ٹوٹنے کا سوگے مناے کیوں کر!
شیشہ اے خیال تھا سو ٹوٹ گیا،
ابھی تک امید ہے میری
باقی، زندگی میں
پھر انچاها
روگ لگائیں
کیوں کر،
ادھر سے کہیں گزرتی ہے آخری پہر
کہکشاں ، یہیں پہ کہیں ركتا ہے
چاند گھڑی دو گھڑی، یہ تیرے
سفاف چشم ہے یا
کوئی پوشیدہ
مسافرخانا، ہر قدم راز گہرا!
ہر جانب چھائے صندلی دھواں،
صفا درصفا کوئی
لکھ رہا ہو
جیسے
وهم آلود ، حیرت انگیز زندگی کا
اک افسانہ -
-شانتنو سانیال
शीशा ए ख़याल था सो टूट गया,
अभी तक उम्मीद है मेरी
बाक़ी, ज़िन्दगी में
फिर अनचाहा
रोग लगाएं
क्यूँ कर,
इधर से कहीं गुज़रती है आख़री पहर
कहकशां, यहीं पे कहीं रुकता है
चाँद घड़ी दो घड़ी, ये तेरे
सफ़ाफ़ चश्म हैं या
कोई पोशीदा
मुसाफ़िरख़ाना, हर क़दम राज़ गहरा !
हर जानिब छाए संदली धुआं,
सफ़ा दर सफ़ा कोई
लिख रहा हो
जैसे
वहमआलूद, इक ख़ूबसूरत सफ़र ए
अफ़साना - -
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
सोग - दुःख
कहकशां - आकाशगंगा सफ़ाफ़ चश्म - पारदर्शी आँख
पोशीदा - छुपा हुआ
सफ़ा दर सफ़ा - पृष्ठ प्रति पृष्ठ
वहमआलूद - मायावी
art of steave phillips
--آخری پہر
خواب ٹوٹنے کا سوگے مناے کیوں کر!
شیشہ اے خیال تھا سو ٹوٹ گیا،
ابھی تک امید ہے میری
باقی، زندگی میں
پھر انچاها
روگ لگائیں
کیوں کر،
ادھر سے کہیں گزرتی ہے آخری پہر
کہکشاں ، یہیں پہ کہیں ركتا ہے
چاند گھڑی دو گھڑی، یہ تیرے
سفاف چشم ہے یا
کوئی پوشیدہ
مسافرخانا، ہر قدم راز گہرا!
ہر جانب چھائے صندلی دھواں،
صفا درصفا کوئی
لکھ رہا ہو
جیسے
وهم آلود ، حیرت انگیز زندگی کا
اک افسانہ -
-شانتنو سانیال
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