24 अगस्त, 2010

ज़िन्दगी तलाश करें

दूर टूटते तारों को चलिए तलाश करें


न डूब जाएँ नन्हें अनगिनत जुगनू

अन्तरिक्ष के गहरे धुंधलके में कहीं

क़दम तो उठायें कुछ तो प्रयास करें

कुछ खुशियाँ बाँट लें, दर्द आत्मसात करें

जो छूट गए भीढ़ में तनहा

तक़दीर न बदल पायें तो कोई बात नहीं

इक लम्हा ही सही, ज़रा सोचें

हाथ तो बढ़ाएं, ज़िन्दगी तलाश करें /

-- शांतनु सान्याल

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