10 अगस्त, 2010

छणिका

पलाशमय अम्बर , धूसर गोधुली 
अस्तगामी सूरज , शितिज उदास /
झिर झिर सांझ,  तुलसी तले दीप ,
यमन मुखरित, पिया मिलन की आश /
सांध्य आरती, धूप धूनी पञ्च प्रदीप,
शिशुमुख संस्कृत श्लोक अनुप्रास /
शारदीय पूर्ण शशि, अभिसार चहुदिश 
गृहिणी माथे दमके, सिंदूरवृत्त मधुमास /
मंदिर विग्रह बोलें, हे वत्स लो विश्राम
मधुमय रजनी, अल्प सुखद अवकाश //
-- शांतनु सान्याल 

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