23 फ़रवरी, 2024

उतार की ओर - -

निकहत ए इश्क़ नहीं मिलता रौनक ए बाज़ार में,

बह जाते हैं सभी काग़ज़ी सफ़ीने उम्र के उतार में,

दिल के कोने में पोशीदा रहता है नाज़ुक एहसास, हल्की सी लकीर होती है दरमियाँ जीत ओ हार में,

वो ख़्वाब जहाँ मिलते हैं मुख़्तलिफ़ दिलों के रिश्ते,
डूब जाते हैं सभी चेहरे धुंध भरे सुबह के किनार में,

ये वादा कि हर किसी को मिले कुछ वाजिब हिस्सा,
गुम से हैं सभी, कैफ़ ए आज़ादी अब इस संसार में,
- - शांतनु सान्याल 

4 टिप्‍पणियां:


  1. ये वादा कि हर किसी को मिले कुछ वाजिब हिस्सा,
    गुम से हैं सभी, कैफ़ ए आज़ादी अब इस संसार में,
    वाकई, समय के सच को दर्शाती सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं

  2. ये वादा कि हर किसी को मिले कुछ वाजिब हिस्सा,
    गुम से हैं सभी, कैफ़ ए आज़ादी अब इस संसार में,
    वाकई, समय के सच को दर्शाती सुंदर रचना।

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